2020 के दिल्ली दंगों के मामले में एक स्थानीय अदालत ने छह व्यक्तियों के खिलाफ हत्या के आरोप को साबित नहीं पाया है। यह निर्णय अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत सबूतों की गहन समीक्षा के बाद आया है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में 2020 में दिल्ली में दंगे भड़क उठे थे, जिससे व्यापक हिंसा और जान-माल का नुकसान हुआ। आरोपियों पर शुरू में हत्या सहित अन्य अपराधों का आरोप लगाया गया था।
हालांकि, अदालत ने पाया कि छह व्यक्तियों के खिलाफ हत्या के आरोप को साबित करने के लिए सबूत अपर्याप्त थे। यह निर्णय सामूहिक हिंसा से संबंधित मामलों की जटिलताओं और न्यायिक प्रणाली के सामने न्याय प्रदान करने की चुनौतियों को उजागर करता है।
इस निर्णय ने राजनीतिक हलकों में मिश्रित प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की हैं, कुछ ने इस फैसले का स्वागत न्याय की दिशा में एक कदम के रूप में किया है, जबकि अन्य ने राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा के लिए जवाबदेही पर चिंता व्यक्त की है।
यह निर्णय दंगों से संबंधित अन्य लंबित मामलों के लिए महत्वपूर्ण प्रभाव डालने की उम्मीद है, क्योंकि न्यायिक प्रक्रिया जारी है।