भारत के सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2019 के फैसले को फिर से स्थापित किया है, जिसमें भूमि मालिकों को पूर्वव्यापी सोलाटियम लागू करने का आदेश दिया गया है। यह निर्णय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के लिए एक बड़ा झटका है, जिसने पहले के फैसले की समीक्षा की मांग की थी। अदालत के फैसले से यह सुनिश्चित होता है कि बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण से प्रभावित भूमि मालिकों को अतिरिक्त सोलाटियम के साथ मुआवजा मिलेगा, भले ही उनके मामले 2019 के फैसले से पहले के हों। कानूनी विशेषज्ञों ने इस फैसले को भूमि मालिकों के लिए एक जीत के रूप में सराहा है, भूमि अधिग्रहण प्रक्रियाओं में न्यायपूर्ण मुआवजे के महत्व को रेखांकित किया है। हालांकि, एनएचएआई ने फैसले के वित्तीय प्रभावों पर चिंता व्यक्त की है, जिससे परियोजना लागत बढ़ सकती है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय भूमि मालिकों के अधिकारों को बनाए रखने और भूमि अधिग्रहण मामलों में न्यायपूर्ण व्यवहार सुनिश्चित करने की उनकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।