पत्रकारिता की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए हाईकोर्ट ने एक प्रमुख विश्वविद्यालय के यौन उत्पीड़न मामले की जांच कर रही पुलिस टीम को सख्त चेतावनी जारी की है। अदालत ने उन पत्रकारों को परेशान न करने के महत्व पर जोर दिया है जो इस संवेदनशील मामले को कवर कर रहे हैं, लोकतांत्रिक समाज में प्रेस की भूमिका को रेखांकित करते हुए। यह निर्देश उन चिंताओं के बीच आया है कि पत्रकारों को अधिकारियों द्वारा धमकाया जा रहा है, जिससे उनकी स्वतंत्र और सटीक रिपोर्टिंग की क्षमता बाधित हो सकती है। चल रही जांच में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए हाईकोर्ट का हस्तक्षेप एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।